दिखई देते हैं दूर तक अब भी साऍ कोइ
मगर बुलाने से वक़्त लॉतऍ ना कोइ
चलो ना फिर से बीचाये दरिया बजाये धोलक
लगाके मेहेंदी सुरीले तप्पे सुनाये कोइ
पतंग उराये छतानो पे चड़ के मुहलै वाले
फलक तो सांझा हैं उस मे पीछे लराऍ कोइ
उतो कब्बद्दी कब्ब्दी खेलेगे सर्हदो पर
जो आये अब के तो लौत कर फिर ना जाये कोइ
नज़र मे रह्ते हो जब तुम नज़र नहीं आते
....ये सुर मिलाते हैं जब तुम इधर नही आते
नज़र मे रह्ते हो जब तुम नज़र नहीं आते
ये सुर मिलाते हैं जब तुम इधर नही आते....
by Gulzar
One of the most beautifully created Lyrics.
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