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Itanagar, Arunacahl Pradesh, India
An obsessive thinker. Mostly confused. Polite. Talks less. I try to live and learn everyday.

Wednesday, February 17, 2010

Aman Ki Asha

दिखई देते हैं दूर तक अब भी साऍ कोइ
मगर बुलाने से वक़्त लॉतऍ ना कोइ

चलो ना फिर से बीचाये दरिया बजाये धोलक
लगाके मेहेंदी सुरीले तप्पे सुनाये कोइ

पतंग उराये छतानो पे चड़ के मुहलै वाले
फलक तो सांझा हैं उस मे पीछे लराऍ कोइ

उतो कब्बद्दी कब्ब्दी खेलेगे सर्हदो पर
जो आये अब के तो लौत कर फिर ना जाये कोइ

नज़र मे रह्ते हो जब तुम नज़र नहीं आते
....ये सुर मिलाते हैं जब तुम इधर नही आते

नज़र मे रह्ते हो जब तुम नज़र नहीं आते

ये सुर मिलाते हैं जब तुम इधर नही आते....

by Gulzar

One of the most beautifully created Lyrics.

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